जूनागढ दुर्ग

जूनागढ दुर्ग

जूनागढ दुर्ग कहा स्थित है? 

जूनागढ का किला राजस्थान के बीकानेर शहर में स्थित है जिसे जमीन का जैवर कहा जाता है और इस दुर्ग के चारों ओर खाई खूदी हुई है इसलिए इसे धान्वन दुर्ग कहा जाता है।Taragarh Fort Hindi
जूनागढ दुर्ग का निर्माण बीकानेर के शासक राजा रायसिहं द्वारा बनवाया गया था जूनागढ दुर्ग बीकानेर के शासक रायसिहं के मंत्री कर्मचंद की देखरेख में सन् 1594ई• में बनाया गया था।

 जूनागढ दुर्ग का निर्माण कब करवाया गया था?

जूनागढ दुर्ग में बीकानेर के शासक रायसिहं ने रायसिहं प्रशस्ति उत्क्रीण करवाई थी जिसके अनुसार जूनागढ दुर्ग का निर्माण रायसिहं ने ही करवाया था
जूनागढ दुर्ग

जूनागढ दुर्ग का निर्माण किसने करवाया था?

रायसिहं का जन्म 20 जुलाई 1541 को हुआ था तथा सन् 1574 मे पिता कल्याणमल की मृत्यु के बाद अकबर ने रायसिहं को बीकानेर का शासक बनाया था जयपुर के बाद बीकानेर से ही मुगलो के संबंध अच्छे कायम हो सके थे।
पुराना गढ़ जो नगर प्राचीर के भीतर ऊँची चट्टान पर स्थित है इसे बीकाजी की टेकरी कहा जाता है।
जूनागढ का निर्माण कार्य राव बीका ने ही शुरू किया था लेकिन इसे बीकानेर के शासक रायसिहं ने पुर्ण करवाया था, पुराने गढ़ की नींव पर ही नया गढ़ का निर्माण किया गया इसलिए इसे जूनागढ दुर्ग कहा जाता है।
राव बीका जोधपुर के संस्थापक राव जोधा के पुत्र थे जिन्होंने सन् 1465 मे बीकानेर में राठौड वंश कि स्थापना कि तथा सन् 1488 मे बीकानेर शहर बसाया था।

☆ जूनागढ दुर्ग का निर्माण किसने करवाया था?
उ- रायसिहं ने 
☆ जमीन का जेवर किस किले को कहा जाता है? 
उ- जूनागढ दुर्ग बीकानेर 
☆ जूनागढ दुर्ग निम्न में से किस श्रेणी का दुर्ग है?
उ- धान्वन दुर्ग 
☆ जूनागढ दुर्ग कहा स्थित है? 
उ- बीकानेर, राजस्थान
☆ जूनागढ दुर्ग का निर्माण कब करवाया गया था?
उ-  सन् 1594ई
☆ रायसिहं को राजपुताने का कर्ण किसने कहा है?
उ- मुंशी देवीप्रसाद ने
☆ रायसिहं प्रशस्ति किसके द्वारा उत्कृण करवाई गयी थी?
उ- रायसिहं 
जूनागढ़ दुर्ग में सूरजपोल का निर्माण पीले पत्थरों से किया गया है ! इस दरवाजे पर रायसिंह प्रशस्ति उत्कीर्ण है ! तथा इसके दोनों ओर 1567 ई. के चित्तौड़ के साके में वीरगति पाने वाले जयमल मेड़तिया ! और उनके बहनोई आमेट के रावत पत्ता सिसोदिया की गजारूढ़ मूर्तियाँ स्थापित हैं ! ये मूर्तियाँ राव रायसिंह द्वारा 1590 ई. में स्थापित करवाई गई थी जो 1690 ई. तक विद्यमान रहीं !

जिसके बाद इन मूर्तियों को औरंगजेब द्वारा तुड़वा दीं गईं ! फ्रांसिसी यात्री बर्नियर ने अपनी पुस्तक दी ट्रैवल्स ऑफ मुगल एम्पायर में इन मूर्तियों और औरंगजेब द्वारा तोड़े जाने का वर्णन दिया है !

जूनागढ दुर्ग

जूनागढ दुर्ग कहा स्थित है? 

जूनागढ का किला राजस्थान के बीकानेर शहर में स्थित है जिसे जमीन का जैवर कहा जाता है और इस दुर्ग के चारों ओर खाई खूदी हुई है इसलिए इसे धान्वन दुर्ग कहा जाता है।
जूनागढ दुर्ग का निर्माण बीकानेर के शासक राजा रायसिहं द्वारा बनवाया गया था जूनागढ दुर्ग बीकानेर के शासक रायसिहं के मंत्री कर्मचंद की देखरेख में सन् 1594ई• में बनाया गया था। 
जूनागढ दुर्ग में बीकानेर के शासक रायसिहं ने रायसिहं प्रशस्ति उत्क्रीण करवाई थी जिसके अनुसार जूनागढ दुर्ग का निर्माण रायसिहं ने ही करवाया था

जूनागढ दुर्ग का निर्माण किसने करवाया था?

रायसिहं का जन्म 20 जुलाई 1541 को हुआ था तथा सन् 1574 मे पिता कल्याणमल की मृत्यु के बाद अकबर ने रायसिहं को बीकानेर का शासक बनाया था जयपुर के बाद बीकानेर से ही मुगलो के संबंध अच्छे कायम हो सके थे।
पुराना गढ़ जो नगर प्राचीर के भीतर ऊँची चट्टान पर स्थित है इसे बीकाजी की टेकरी कहा जाता है।
जूनागढ का निर्माण कार्य राव बीका ने ही शुरू किया था लेकिन इसे बीकानेर के शासक रायसिहं ने पुर्ण करवाया था, पुराने गढ़ की नींव पर ही नया गढ़ का निर्माण किया गया इसलिए इसे जूनागढ दुर्ग कहा जाता है।
राव बीका जोधपुर के संस्थापक राव जोधा के पुत्र थे जिन्होंने सन् 1465 मे बीकानेर में राठौड वंश कि स्थापना कि तथा सन् 1488 मे बीकानेर शहर बसाया था।

☆ जूनागढ दुर्ग का निर्माण किसने करवाया था?
उ- रायसिहं ने 
☆ जमीन का जेवर किस किले को कहा जाता है? 
उ- जूनागढ दुर्ग बीकानेर 
☆ जूनागढ दुर्ग निम्न में से किस श्रेणी का दुर्ग है?
उ- धान्वन दुर्ग 
☆ जूनागढ दुर्ग कहा स्थित है? 
उ- बीकानेर, राजस्थान
☆ जूनागढ दुर्ग का निर्माण कब करवाया गया था?
उ-  सन् 1594ई
☆ रायसिहं को राजपुताने का कर्ण किसने कहा है?
उ- मुंशी देवीप्रसाद ने
☆ रायसिहं प्रशस्ति किसके द्वारा उत्कृण करवाई गयी थी?
उ- रायसिहं 
जूनागढ़ दुर्ग में सूरजपोल का निर्माण पीले पत्थरों से किया गया है ! इस दरवाजे पर रायसिंह प्रशस्ति उत्कीर्ण है ! तथा इसके दोनों ओर 1567 ई. के चित्तौड़ के साके में वीरगति पाने वाले जयमल मेड़तिया ! और उनके बहनोई आमेट के रावत पत्ता सिसोदिया की गजारूढ़ मूर्तियाँ स्थापित हैं ! ये मूर्तियाँ राव रायसिंह द्वारा 1590 ई. में स्थापित करवाई गई थी जो 1690 ई. तक विद्यमान रहीं !

जिसके बाद इन मूर्तियों को औरंगजेब द्वारा तुड़वा दीं गईं ! फ्रांसिसी यात्री बर्नियर ने अपनी पुस्तक दी ट्रैवल्स ऑफ मुगल एम्पायर में इन मूर्तियों और औरंगजेब द्वारा तोड़े जाने का वर्णन दिया है !

जूनागढ दुर्ग

जूनागढ दुर्ग कहा स्थित है? 

जूनागढ का किला राजस्थान के बीकानेर शहर में स्थित है जिसे जमीन का जैवर कहा जाता है और इस दुर्ग के चारों ओर खाई खूदी हुई है इसलिए इसे धान्वन दुर्ग कहा जाता है।
जूनागढ दुर्ग का निर्माण बीकानेर के शासक राजा रायसिहं द्वारा बनवाया गया था जूनागढ दुर्ग बीकानेर के शासक रायसिहं के मंत्री कर्मचंद की देखरेख में सन् 1594ई• में बनाया गया था। 
जूनागढ दुर्ग में बीकानेर के शासक रायसिहं ने रायसिहं प्रशस्ति उत्क्रीण करवाई थी जिसके अनुसार जूनागढ दुर्ग का निर्माण रायसिहं ने ही करवाया था

जूनागढ दुर्ग का निर्माण किसने करवाया था?

रायसिहं का जन्म 20 जुलाई 1541 को हुआ था तथा सन् 1574 मे पिता कल्याणमल की मृत्यु के बाद अकबर ने रायसिहं को बीकानेर का शासक बनाया था जयपुर के बाद बीकानेर से ही मुगलो के संबंध अच्छे कायम हो सके थे।
पुराना गढ़ जो नगर प्राचीर के भीतर ऊँची चट्टान पर स्थित है इसे बीकाजी की टेकरी कहा जाता है।
जूनागढ का निर्माण कार्य राव बीका ने ही शुरू किया था लेकिन इसे बीकानेर के शासक रायसिहं ने पुर्ण करवाया था, पुराने गढ़ की नींव पर ही नया गढ़ का निर्माण किया गया इसलिए इसे जूनागढ दुर्ग कहा जाता है।
राव बीका जोधपुर के संस्थापक राव जोधा के पुत्र थे जिन्होंने सन् 1465 मे बीकानेर में राठौड वंश कि स्थापना कि तथा सन् 1488 मे बीकानेर शहर बसाया था।

☆ जूनागढ दुर्ग का निर्माण किसने करवाया था?
उ- रायसिहं ने 
☆ जमीन का जेवर किस किले को कहा जाता है? 
उ- जूनागढ दुर्ग बीकानेर 
☆ जूनागढ दुर्ग निम्न में से किस श्रेणी का दुर्ग है?
उ- धान्वन दुर्ग 
☆ जूनागढ दुर्ग कहा स्थित है? 
उ- बीकानेर, राजस्थान
☆ जूनागढ दुर्ग का निर्माण कब करवाया गया था?
उ-  सन् 1594ई
☆ रायसिहं को राजपुताने का कर्ण किसने कहा है?
उ- मुंशी देवीप्रसाद ने
☆ रायसिहं प्रशस्ति किसके द्वारा उत्कृण करवाई गयी थी?
उ- रायसिहं 
जूनागढ़ दुर्ग में सूरजपोल का निर्माण पीले पत्थरों से किया गया है ! इस दरवाजे पर रायसिंह प्रशस्ति उत्कीर्ण है ! तथा इसके दोनों ओर 1567 ई. के चित्तौड़ के साके में वीरगति पाने वाले जयमल मेड़तिया ! और उनके बहनोई आमेट के रावत पत्ता सिसोदिया की गजारूढ़ मूर्तियाँ स्थापित हैं ! ये मूर्तियाँ राव रायसिंह द्वारा 1590 ई. में स्थापित करवाई गई थी जो 1690 ई. तक विद्यमान रहीं !

जिसके बाद इन मूर्तियों को औरंगजेब द्वारा तुड़वा दीं गईं ! फ्रांसिसी यात्री बर्नियर ने अपनी पुस्तक दी ट्रैवल्स ऑफ मुगल एम्पायर में इन मूर्तियों और औरंगजेब द्वारा तोड़े जाने का वर्णन दिया है !

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